-: सिंहावलोकन :-

विद्यालय - एक सिंहावलोकन
महान विभूतियों एवं महापुरूषों की कर्मस्थली काशी अपने धर्म और विद्या के लिए जानी जाती है। काशी में स्थित बाबा भैरोनाथ की छत्रछाया में श्री वल्लभ विद्यापीठ बालिका इण्टर कालेज की स्थापना श्री शुद्धाद्वैत जपयज्ञ समिति के तत्वावधान में एक प्राइमरी विद्यालय के रूप में सन् 1957 में नित्यलीलास्थ श्री कृष्ण प्रिया ‘बेटी जी‘ के द्वारा की गयी। तभी से यह विद्यालय महिलाओं में चेंतना जागरण करके उन्हे समाज की मुख्य धारा में जोड़ने और उन्हे देश का एक कर्तव्यनिष्ठ एवं स्वावलम्बी नागरिक बनाने हेतु प्रयासरत है।

एक प्राइमरी विद्यालय से अपनी यात्रा शुरू करने वाले विद्यालय श्री वल्लभ विद्यापीठ बालिका इण्टर कालेज को 1967 में हाईस्कूल तथा 1970 में इण्टर की मान्यता प्रबन्ध समिति और विद्यालय की भूतपूर्व प्रधानाचार्या एवं राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित स्व. श्रीमती इन्दु शाह के अथक प्रयासों से प्राप्त हुयी।

अपने स्थापित वर्ष 1957 से लेकर अब तक यह विद्यालय जहां बालिकाओं में नैतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं मानवीय मूल्यों को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए कटिबद्ध, है वहीं दूसरी तरफ वर्तमान में उ0 प्र0 राज्य सरकार द्वारा संचालित NCERT पाठ्यक्रम में शिक्षण प्रदान कर रहा है।

प्रारम्भ में कुछ छात्र-छात्राओं से शुरू किया गया यह विद्यालय आज प्रतिवर्ष करीब 2000 छात्राओं को उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान कर रहा है। भैरोनाथ स्थित इस विद्यालय की इमारत चार मंजिला है, विद्यालय प्रांगण में हनुमान जी की प्रतिमा भी है जिनके संरक्षण में विद्यालय में कक्षा 1 से 12 तक का शिक्षण प्रदान किया जाता है। कक्षा 1 से 12 तक होने के कारण विद्यालय दो पाली में संचालित होता है। प्रथम पाली में कक्षा 9 से 12 एवं द्वितीय पाली में कक्षा 1 से 8 तक की छात्राएं शिक्षा प्राप्त करती है। धनी आबादी के बीच बसा यह विद्यालय दिन प्रतिदिन नई-नई ऊँचाइयों को छू रहा है, जिसका परिणाम यह है कि न केवल शैक्षिक क्षेत्र में वरन् सांस्कृतिक, खेलकूद व अन्य क्षेत्रों में भी इस विद्यालय की छात्राओं ने जनपद, मंडल एवं राष्ट्रीय स्तर तक अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है।


उद्देश्य - ऐसी शिक्षा को बढ़ावा देना जो उदार होने के साथ ही साथ प्रगतिशील हो तथा छात्राओं में अनुशासन, कड़ी मेहनत और सामाजिक जिम्मेदारी के मूल्यों को विकसित करें।
सिद्धान्त - ‘‘कर्मव्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’’
आदर्श वाक्य - विद्या ददाति विनयं
शुंभकर - मुरलीधर 
परम्पराएं - राष्ट्रीय त्यौहार, महापुरूषों, क्रान्तिकारियों, विद्वानों एवं शिक्षाविदों की जयन्ती एवं पुण्यतिथियां, शिक्षक-दिवस, खेल-दिवस, योग-दिवस, हिन्दी-दिवस, बाल-दिवस, शहीद-दिवस,
                 पराक्रम- दिवस, राष्ट्रीय एकता-दिवस, स्थापना-दिवस एवं पुरस्कार-वितरण।
रंग - गुलाबी, पीला, नीला एवं सफेद।